“The Debonaire Who Played A Labour Was Born On Labour Day, Too”
By Jagmohan Singh Barhok घायल मन का पागल पंछीउड़ने को बेक़रारपंख हैं कोमल आँख हैं धुँधलीजाना है सागर पारजाना है सागर पारअब तू ही इसे समझाराह भूले थे कहाँ से…
By Jagmohan Singh Barhok घायल मन का पागल पंछीउड़ने को बेक़रारपंख हैं कोमल आँख हैं धुँधलीजाना है सागर पारजाना है सागर पारअब तू ही इसे समझाराह भूले थे कहाँ से…
By Jagmohan Singh Barhok On His Birth Anniversary मस्ती भरा है समां हम तुम हैं दोनों यहाँ आँखों में आजा, दिल में समा जा, झूमें ज़मीं आसमां Parvarish-1958 Prabodh Chandra…
By Jagmohan Singh Barhok तार्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन उसे…