“A Musical Extravaganza- Barsaat Ki Raat”
By Jagmohan Singh Barhok डर के बिजली से अचानक वो लिपटना उसका और फिर शर्म से बलखाके सिमटना उसका कभी देखी न सुनी ऐसी हो.. कभी देखी न सुनी ऐसी…
By Jagmohan Singh Barhok डर के बिजली से अचानक वो लिपटना उसका और फिर शर्म से बलखाके सिमटना उसका कभी देखी न सुनी ऐसी हो.. कभी देखी न सुनी ऐसी…
-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से 46 वीं वर्षगाँठ मैं बचपन में अपने पिताजी के साथ अक्सर फिल्म का नाईट शो देखने जाया करता था. मेरे पिताजी ज्यादातर बैंक में…
By Jagmohan Singh Barhok हम आप की आँखों में, इस दिल को बसा दें तोहम मूँद के पलकों को, इस दिल को सज़ा दें तोहम आप की आँखों में, इस…