“Romanticism & Social-Consciousness were Hallmark of His Films”
By Jagmohan Singh Barhok भूल सकती नहीं आँखे वो सुहाना मंज़रजब तेरा हुस्न मेरे इश्क़ से टकराया थाऔर फिर राह में बिखरे थे हज़ारो नग्मेमै वो नगमे तेरी आवाज़ को…
By Jagmohan Singh Barhok भूल सकती नहीं आँखे वो सुहाना मंज़रजब तेरा हुस्न मेरे इश्क़ से टकराया थाऔर फिर राह में बिखरे थे हज़ारो नग्मेमै वो नगमे तेरी आवाज़ को…
By Jagmohan Singh Barhok On His Birth Anniversary "मोहब्बत आज क्यूं मचलने लगीशामा जैसे महफ़िल मे जलने लगीछुरी मान लो दिल पे चलने लगीकोई दिल की हसरत निकलने लगीबदलने लगा…
By Jagmohan Singh Barhok On her Birth Anniversary आओ बैठो हमारे पहलू में पनाह ले लोमेरी जलती हुई आँखों पे ये आँखे रख दोऐ मेरे प्यार के ख्वाबो की हसी…