“नए साल के उपलक्ष्य में गीतों भरी एक शाम”
प्रस्तुति: जगमोहन सिंह बरहोक -ये चांद सा रोशन चेहरा,ज़ुल्फ़ों का रंग सुनहराये झील सी नीली आँखें,कोई राज़ है इनमें गहरातारीफ़ करूँ क्या उसकी,जिसने तुम्हें बनाया एक चीज़ क़यामत सी है,…
प्रस्तुति: जगमोहन सिंह बरहोक -ये चांद सा रोशन चेहरा,ज़ुल्फ़ों का रंग सुनहराये झील सी नीली आँखें,कोई राज़ है इनमें गहरातारीफ़ करूँ क्या उसकी,जिसने तुम्हें बनाया एक चीज़ क़यामत सी है,…