“He Remained ‘Ever Green’ Until He Breathed His Last”
By Jagmohan Singh Barhok On His Death Anniversary नज़रों से कितने तीर चलेचलने दो जिगर पर झेलेंगेइन प्यार की उजली राहों परहम जान की बाज़ी खेलेंगेइन दो नैनों के सागर…
By Jagmohan Singh Barhok On His Death Anniversary नज़रों से कितने तीर चलेचलने दो जिगर पर झेलेंगेइन प्यार की उजली राहों परहम जान की बाज़ी खेलेंगेइन दो नैनों के सागर…
By Jagmohan Singh Barhok हमको मिली हैं आज येघड़ियाँ नसीब सेजी भर के देख लीजिये हमको क़रीब से फिर आपके नसीब मेंये बात हो न होशायद फिर इस जनम मेंमुलाक़ात…
Jagmohan Singh Barhok "Zindagi ki daastaa chaahe kitani ho hasibin tumhaare kuchh nahi bin tumhaare kuchh nahikya maza aata sanam aaj bhule se kahitum bhi aa jate yahi tum bhi…