“Different Shades of Ashok Kumar: Hero-Character Artist-Villain”
By Jagmohan Singh Barhok On His Birth Anniversary आइये मेहरबाँ, बैठिये जाने-जाँशौक़ से लीजिये जी, इश्क की इम्तहाँकैसे हो तुम नौजवाँ, इतने हसीं महमाँकैसे करूँ मैं बयाँ, दिल की नहीं…
By Jagmohan Singh Barhok On His Birth Anniversary आइये मेहरबाँ, बैठिये जाने-जाँशौक़ से लीजिये जी, इश्क की इम्तहाँकैसे हो तुम नौजवाँ, इतने हसीं महमाँकैसे करूँ मैं बयाँ, दिल की नहीं…
By Jagmohan Singh Barhok तार्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन उसे…