-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
अमेरिकी सैन्य विमान C -17 द्वारा 104 भारतीय प्रवासी नागरिकों के डिपोर्टेशन एवं अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहंचने के बाद देश में सियासत जोरों पर है हर पार्टी बहती गंगा में हाथ धो रही है .यूँ कुम्भ के मेले में स्नान भी किया जा सकता है. लोगों का मत है की जहाज़ को अमृतसर उतरने देने के पीछे पंजाब को बदनाम करने की साज़िश है अधिकतर प्रवासी तो गुजरात के थे। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता। कुछ लोग कहते हैं कोलंबिया ने अपना स्पेशल विमान भेजा था। भारत ऐसा क्यों नहीं कर सका। तीसरी बात यह कि लोगों को हाथ पैर बाँध कर भेजा गया था. अपनी जगह पर सारी बातें किसी न किसी रूप में सही हैं इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन यह भी सत्य है कि अमेरिका ने उन्हें नहीं बुलाया था और वे लोग खुद अवैध तरीके से वहाँ पहुंचे थे या पहुंचाये गए थे.यूँ पंजाब सरकार के मंत्री अमृतसर ज़रूर पहंचे थे और उन्होंने लोगों से बात भी की थी।
फतेहगढ़ चूड़ियाँ निवासी जसपाल सिंह का कहना है की उसने 2009 से 2022 तक का समय दुबई, क़तर , दोहा में बतौर ट्रक ड्राइवर बिताया उसके बाद देश वापस आकर इंग्लैंड का वीसा लगवाकर वहां मज़दूरी की ,फिर स्पिन, ब्राज़ील होते हुए डंकी रुट से पनामा के जंगलों में ख़ाक छानने के बाद अमेरिका पहुंचा। बॉर्डर पर उसे पकड़ लिया गया अब भारत भेज दिया गया है। उसने एजेंट को 40 लाख़ दिए थे जिसने ये सारा इंतज़ाम करवाया था.संगरूर गांव के इंदरजीत सिंह भी वापिस आ पहुंचे हैं पिता जी ने 50 लाख खर्च कर अमेरिका भिजवाया था 2 हफ्ते में डिपोर्ट कर दिया गया। पटिआला का नवजोत सिंह दुबई से पेरिस होते हुए डंकी रूट से अमेरिक पहुंचा उसकी भी घर वापिसी हो गयी है। यहाँ सोचने वाली बात है की इनमें से कोई भी प्रोफेशनली क्वालिफाइड नहीं था.
भारत में सैलरी के हिसाब से प्रति व्यक्ति सालाना आय 180,000 से 200,000 के बीच बनती है. प्रति महीना औसत आमदनी 15000 बनती है -दुबई,क़तर दोहा में इससे काफी ज्यादह सैलरी मिलती है फिर पहला युवक 40 लाख (4 million rupees ) देकर अमेरिका क्यों गया ? यहां गांव में 20000 में भी अच्छा गुज़ारा होता है पहली बात. दूसरा, 40 लाख का 10 % ब्याज़ 4 लाख बनता है। महीना बनता है 35000 इतनी तो कई पुराने बड़े ऑफिसर्स की भारत में मौजूदा पेंशन ही नहीं है। उसका कहना है की जब गया था तो उसका वज़न (weight ) 104 किलो था अब 40 किलो रह गया है। कहावत है “पैसे में कुछ नहीं रखा- सेहत है तो जहान है” – इस युवक ने दोनों चीज़ों को गवां दिया। बाकी दोनों अब कर्ज़े तले दबे रहेंगे। सभी मामले कहावत “लालच बुरी बला है” को सच साबित करते हैं. यहां मैं बताना चाहता हूँ कि किसानों को कृषि भूमि से हुई आमदनी पर टैक्स नहीं देना पड़ता. बाकी सभी को देना पड़ता है इतनी बड़ी रक़म में तो आप गांव में नया मकान बनाकर- मोटरकार रख कर आराम से रह सकते हैं जो इन लोगों ने नहीं किया।
