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“अमीया चक्रवर्ती: सफल फिल्म निर्देशक-कहानीकार”

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-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से

‘वो घड़ी याद है जब तुम से मुलाक़ात हुई
एक इशारा हुआ दो हाथ बढ़े बात हुई
देखते देखते दिन ढल गया और रात हुई
वो समां आज तलक दिल से भुलाया ना गया
हम से आया न गया’

देश की आज़ादी बाद काफी फिल्में कलकत्ता में बनी और शूट हुई थी. लोगबाग काम धंधे के सिलसिले में भी वहाँ जाते थे.एक तरह से बंगाली सिने -निर्देशकों की तूती बोलती थी जिनमें से कुछ ने हिंदी फिल्मों में भी कामयाबी हासिल की जिन में सत्येन बोस, बिमल रॉय, नितिन बोस, मृणाल सेन, बिमल रॉय, सत्यजीत रे और हृषिकेश मुखर्जी कुछ चर्चित नाम हैं।

दिलीप कुमार अभिनीत “जवार भट्टा” (1944 ) के निर्देशक ‘अमीया चक्रवर्ती ‘ भी ऐसी ही एक शख़्सियत थे. फिल्म की नायिका रूमा गुहा थीं जिन्होंने 1951 में मशहूर गायक किशोर कुमार से शादी की। चक्रवर्ती ने “दाग” (1952) में निम्मी के साथ दिलीप कुमार को कास्ट किया, जो “ऐ मेरे दिल कहीं और चल’ और ‘हम दर्द के मारों का इतना ही फसाना है’ जैसे गानों के साथ एक सुपर-हिट फिल्म साबित हुई। दिलीप कुमार को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पहले फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया 1953 में प्रदर्शित देव आनंद, उषा किरण अभिनीत “पतिता” (1953) भी मधुर गीत – संगीत के लिए याद की जाती है. ‘याद किया दिल ने कहां हो तुम’, ‘अंधे जहां के अंधे रास्ते, जाएं तो जाएं कहां’, ‘किसी ने अपना बना के मुझको’ और’ ‘मिट्टी से खेलते हो बार-बार हिट गीतों में शुमार हुए.

1955 में उन्होंने शंकर -जयकिशन के मधुर संगीत से सजी बलराज साहनी -नूतन अभिनीत फिल्म “सीमा” का निर्देशन किया। मधुर और दिल को छू लेने वाले गाने ‘तू प्यार का सागर है, तेरी इक बूंद के प्यासे हम’ और मन्ना डे और लता की आवाज में ‘बात-बात में रूठो ना’ ने बॉक्स-ऑफिस पर कमाल कर दिया।फिल्म ने दो फिल्मफेयर पुरस्कार जीते- जिन में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री नूतन और अमीया चक्रवर्ती द्वारा जीता गया सर्वश्रेष्ठ कहानी का पुरस्कार शामिल हैं । वैजयंतीमाला, बलराज साहनी अभिनीत “कठपुतली” ‘मंज़िल वही है प्यार की’, और ‘हाय तू ही गया मोहे भूल रे, मैं हूं तेरे जीवन की रागिनी’ गीतों के कारण उनकी एक अन्य
यादगार और संगीतमय फिल्म थी। कमला लक्ष्मण का नृत्य फिल्म का मुख्य आकर्षण था जो हिंदी फिल्मों में किसी भी अभिनेत्री द्वारा सर्वश्रेष्ठ ‘शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन’ कहा जा सकता है।

“देखा कबीरा रोया’ (1957 ) के गाने “कौन आया मोरे मन के द्वारे” (मन्ना डे )और “मेरी वीणा तुम बिन रोये” और ‘तू प्यार करे या ठुकराये हम तो है तेरे’ (लता मंगेशकर ) लोकप्रिय गीत बने। ‘हमसे आया ना गया, तुम से बुलाया ना गया’ (तलत महमूद ) फिल्म का अन्य लोकप्रिय गीत था। ‘दाग’, ‘ कठपुतली’ और ‘देख कबीरा रोया’ की कहानी भी उन्होंने ही लिखी थी।

सितारवादक रवि शंकर के संबंधी और अपने निर्देशन से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले अमीया चक्रवर्ती का 6 मार्च 1957 को निधन हो गया।

‘चल जहाँ गम के मारे न हों
झूठी आशा के तारे न हों
झूठी आशा के तारे न हों
इन बहारों से क्या फ़ायदा
जिस में दिल की कली जल गई
ज़ख़्म फिर से हरा हो गया
ऐ मेरे दिल कहीं और चल’

अमीया चक्रवर्ती का जन्म 30 नवंबर 1912 को बंगाल के बोगरा (अब बांग्लादेश में) में हुआ था।

Jagmohan Singh Barhok

Leading Film , Fashion ,Sports & Crime Journalist Up North. Active Since 1971.Retired Bank Officer. Contributed more than 7000 articles worldwide in English, Hindi & Punjabi languages on various topics of interesting & informative nature including people, places, cultures, religions & monuments. Ardent Music lover.

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