-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
होली मूलतः एकहिंदू त्यौहार है जो अब भारत के लगभग सभी राज्यों और विदेशों में भी में अत्यंत हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। होली की शुरुआत एक अलाव जलाने से होती है. इस वर्ष होली 14 मार्च को मनाई जा रही है । होली ‘रंगो का उत्सव’ है।
इस दिन लोग अपने मित्रों , परिवार और पड़ोसियों के के चेहरे पर रंग या गुलाल लगाकर रिश्तों को मज़बूत करते हैं। इसे मित्रता और सद्भावना के रूप में मनाया जाता है. बच्चों के लिए होली का कुछ अलग ही आकर्षण है। बच्चे पानी के गुब्बारे फेंककर या रंगीन पानी से भरी पिचकारियों से लोगों को भिगोकर आनंदित होते हैं। कुछ लोग इस अवसर पर अपने घरों को सजाकर भी इस त्यौहार को मनाते हैं।
उत्तर प्रदेश और बिहार में होली के रंग
होली के दिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में लजीज मिठाई के रूप में विशेषरूप से ‘गुझिया’ बनाने का प्रचलन बहुत पुराना है। गुझिया अब दूसरे राज्यों में भी बनाई जाती है क्योंकि इन राज्यों के लोग लाखों की संख्या में मुंबई, हरियाणा , दिल्ली और पंजाब में काम काज के सिलसिले में स्थानांतरित हो चुके हैं. उत्तराखंड में होली के अवसर पर लोग नये कपड़े सिलवाकर पहनते हैं .होली में वहां माहौल बढ़िया होता है।

उत्तर प्रदेश और बिहार में होली कई दिन तक मनाई जाती है। रेल गाड़ियों एवं बसों पर कीचड़ और गंदगी फेंकने का चलन आज भी जारी है। इस अवसर पर ‘भांग’ का खूब इस्तेमाल होता है जिसे हिंदी फिल्मों में भी चित्रित किया गया है। हिंदी फिल्मों में होली पर दर्जनों गीत फिल्माए गए हैं जिनमें उल्लेखनीय हैं आज न छोड़ेंगे बस हमजोली (कटी पतंग ), होरी खेले रघुवीरा, (बाग़बान), ‘होली के दिन’ (शोले) ‘होली आयी रे कन्हाई’ (मदर इंडिया ) लेकिन सबसे अधिक चर्चा फिल्म ‘सिलसिला’ के गीत ‘रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे’ की हुई है. ये गीत अमिताभ बच्चन,रेखा,जया बहादुरी और संजीव कुमार पर फिल्माया गया था. रेखा- अमिताभ की केमिस्ट्री देखते ही बनती है .अमिताभ की भाव भंगिमाओं से ऐसा प्रतीत होता है मानो शूटिंग के दौरान उसने सचमुच भांग पी रखी थी. गीत बेहद दिलफ़रेब ढंग से फिल्माया गया था.
वृंदाबन स्थित बिहारी मंदिर में भी होली मनाई जाती है. 2000 मार्च में हम सपरिवार वहां गए थे लेकिन अंदरूनी हिस्से में हमें नहीं जाने दिया गया था। मथुरा का भी हमने दौरा किया था. उसके बाद आगरा होते हुए अजमेर निकल गये थे।
पंजाब में होला मोहल्ला
पंजाब में ‘होला मोहल्ला’ उत्सव बड़े पैमाने पर मनाया जाता है जो 3 दिन तक चलता है.इसमें भाग लेने के लिये लिए देश विदेश से लोग आनंदपुर साहिब पहुंचते हैं- गतका ,घुड़सवारी और ‘मार्शल आर्ट’ उत्सव के मुख्य आकर्षण होते हैं. होला मोहल्ला की शुरूआत दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने की थी। यहां नज़ारा देखने वाला होता है विशेषरूप से तीन तीन घोड़ों पर एक एक ‘निहंग सिंह’ की ‘जांबाज़ी’।
