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“गीता बाली – मनमोहक एवं विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न कलानेत्री”

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-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से

‘शोला जो भड़के दिल मेरा धड़के
दर्द जवानी का सताए बढ़-बढ़ के’

बम्बई विजिट के दौरान जहाज़ में एक व्यक्ति ने मेरे से पूछा था की सबसे सुंदर फ़िल्म अभिनेत्री कौन सी है. मैंने जवाब दिया था के मेकअप के बाद लगभग सभी सुंदर दिखती हैं। यूं सुंदरता स्मार्टनेस और नाज़ो अंदाज़ पर अधिक निर्भर करती है लेकिन अगर दोनों ही गुण हों तो क्या कहने ‘मानो सोने पर सुहागा ‘
इस लेख की नायिका गीता बाली भी एक ऐसी ही सुंदरी थी जिसने निर्देशक केदार शर्मा की फिल्म ‘सुहागरात’ (1948) से अपना फ़िल्मी सफर शुरु किया था फिल्म में भारत भूषण एवं बेगम पारा अन्य कलाकार थे। गीता बाली आगे चलकर हिंदी सिनेमा की प्रभावशाली एवं प्रतिष्ठित अभिनेत्रियों में गिनी जाने लगी.

गीता बाली ने 1940 के दशक के अंत और 1950 के दशक की शुरुआत में रिलीज़ हुई “दुलारी”, “बड़ी बहन” (1949), “बावरे नैन” (1950) “बाज़ी” (1951) और “जाल” (1952) जैसी कई चर्चित फिल्मों में काम किया। देव आनंद अभिनीत गुरुदत्त निर्देशित “बाज़ी” का “तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले” और गुरुदत्त अभिनीत “जाल” का लता मंगेशकर, हेमंत कुमार द्वारा गया गीत “ये रात ये चांदनी” आज भी हिट गानों में शुमार होते हैं ‘बावरे नैन’ और आनंद मठ’ में गीता बाली ने राज कपूर और पृथ्वीराज कपूर के साथ काम किया जो बाद में उनके जेठ और ससुर बने। “ख्यालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते” (मुकेश-गीता दत्त) और “तेरी दुनिया में दिल लगता नहीं, वापस बुला ले” ( मुकेश ) फ़िल्म ‘बावरे नैन’ के हिट गाने थे। संगीत रौशन ने तैयार किया था.

रहमान, सुरैया, गीता बाली और प्राण अभिनीत ‘बड़ी बहन’ (1949) गीत संगीत से परिपूर्ण एक अन्य हिट फिल्म थी। फिल्म का संगीत हुस्नलाल भगतराम ने संगीत तैयार किया था जबकि गीत राजेंद्र कृष्ण और क़मर जलालाबादी ने लिखे थे । “हो लिखनेवाले ने लिख दी मेरी तकदीर में”, “चुप चुप खड़े हो जरूर कोई बात है”, “वो पास रहें या दूर रहे’ और ‘चले जाना नहीं’ फिल्म के चुनिंदा गीत आज भी याद किये जाते हैं।

भगवान दादा द्वारा निर्देशित “अलबेला” ,कुछ लोगों के अनुसार उनकी सर्वधिक चर्चित फिल्मों में से एक थी जिसमें उनके साथ गीता बाली ने भी अभिनय किया था, फिल्म में “शोला जो भड़के” जैसे कुछ लोकरीय पश्चिमी गीत थे संगीत सी. रामचन्द्र का था, जिन्होंने फिल्म के अधिकांश गाने गाए थे। . यह सुपरहिट रही और उस साल सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तीन फिल्मों में से एक थी । भगवान दादा ने इस फिल्म पर दिल खोलकर खर्च किया।उसके बाद उनका क्या हश्र हुआ अधिकांश आलोचक और प्रशंसक जानते हैं.

शम्मी कपूर ने शादी के लिये उन्हें एक से ज़्यादा बार प्रपोज़ किया था लेकिन उन्होंने हर बार मना कर दिया था . एक दिन अचानक वो मान गईं और कहा कि शादी ‘आज’ नहीं, तो कभी नहीं होगी. अगले दिन तड़के दोनों ने पास के मंदिर में शादी कर ली. शम्मी कपूर की परिवार को इस बात का पता उनकी शादी के बाद चला। गीता बाली को ‘रानो’ में काम करना था, जो 1965 में उनकी मृत्यु के कारण पूरी नहीं हो सकी। बाद में इसे राजेंद्र सिंह बेदी सिंह बेदी के सबसे लोकप्रिय उपन्यास पर ‘एक चादर मैली सी’ शीर्षक से बनाया गया जिसमें हेमा मालिनी और ऋषि कपूर ने भमिकायें निभाईं। सोहराब मोदी निर्देशित ‘जेलर’ (1958) उनकी अंतिम फिल्मों में से एक थी.

‘ये कौन आया..
यह कौन आया
के मेरे दिल की दुनियां
में बहार आई में
यह कौन आया’

अभिनेत्री योगिता बाली उनकी बड़ी बहन हरिदर्शन कौर की बेटी हैं। 1930 में अमृतसर में जन्मी हरकीर्तन कौर गीता बाली के नाम से मशहूर हुई। 1955 में शम्मी कपूर से उनकी शादी हुई. 21 जनवरी, 1965 को कम उम्र में उन्होंने इस संसार को विदा कह दिया। चाहने वालों के दिलों में वह अभी भी बसी हुई है इसे ही लोकप्रियता कहते हैं।

Jagmohan Singh Barhok

Leading Film , Fashion ,Sports & Crime Journalist Up North. Active Since 1971.Retired Bank Officer. Contributed more than 7000 articles worldwide in English, Hindi & Punjabi languages on various topics of interesting & informative nature including people, places, cultures, religions & monuments. Ardent Music lover.

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