-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
‘दिल ने जब प्यार के रंगीन फ़साने छेड़े
आँखों आँखों ने वफ़ाओं के तराने छेड़े
सोग में डूब गयी आज वो
सोग में डूब गयी आज वो नगमात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी ‘
एक पंजाबी कहावत है, ‘जिसने लाहौर नहीं देखा, वह पैदा ही नहीं हुआ। ‘लाहौर’ आज़ादी से पहले पंजाब का सबसे बड़ा शहर हुआ करता था फिल्म इंडस्ट्री भी लाहौर में ही थी प्राण नूरजहां जैसे कई नामी कलाकारों ने वहां से ही फ़िल्मी सफर शुरू किया था. आज़ादी के बाद लोगबाग कलकत्ता और फिर बॉम्बे चले गये पंजाबी फिल्मों का बनना लगभा बंद हो गया .जिन लोगों ने ‘गोल्डन एरा’ की फिल्मों का आनंद लिया है उन्हें वो भूले नहीं होंगे। संगीतकार रौशन भी ऐसी ही शख्सियत हैं।

राकेश रौशन, संगीत निर्देशक राजेश रौशन और एक्टर ऋतिक रोशन के दादा रौशन नागरथ का जन्म गुजरांवाला में हुआ था रौशन नागरथ ने अपना फ़िल्मी सफर फिल्म ‘नेकी और बदी ‘ से शुरू किया था. फिल्म ‘बावरे नैन ‘ के गीत “ख्यालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते” से उन्हें प्रसिद्धि मिली. फिल्म के निर्देशक थे केदार शर्मा। फिल्म में राज कपूर-गीता बाली ने काम किया था। मेरे पिता जी जी का यह पसंदीदा गीत था। उनका जन्म भी गुजरांवाला में ही हुआ था। आवाज़ गीता दत्त और मुकेश की थी।
