-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
‘तेरी ज़ुल्फ़ों से, जुदाई तो नहीं माँगी थी
क़ैद माँगी थी, रिहाई तो नहीं माँगी थी
मैने क्या ज़ुर्म किया, आप खफ़ा हो बैठे
प्यार माँगा था, खुदाई तो नहीं माँगी थी’
नासिर हुसैन बतौर निर्माता -निर्देशक किसी परिचय के मोहताज़ नहीं है “अनारकली ” (1953), “मुनीमजी” (1955) और “पेइंग गेस्ट” (1957) फ़िल्मों से लेखक के रूप में फ़िल्मी सफर शुरू करने वाले हुसैन ने एक के बाद एक कई मसाला-म्यूजिकल हिट फ़िल्में दी. उनकी लिखी फिल्म ‘अनारकली’ के गीत आज भी लोगों की जुबान पर हैं.
नासिर हुसैन ने निर्माता शशधर मुखर्जी की शम्मी कपूर -अमीता अमीता अभिनीत फिल्म “तुमसा नहीं देखा” से प्रसिद्धि प्राप्त की फिल्म के कई कई गीत “यूं तो हमने लाख हसीं देखें हैं”, “सर पर टोपी लाल हाथ में रेशम का रूमाल”, व् “जवानियाँ ये मस्त मस्त बिन पिये” मशहूर हुए इस फिल्म ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। शम्मी कपूर के फ़िल्मी करियर को नया आयाम मिला और उसके बाद कई हिट फिल्मों के वह नायक बने। इसके बाद उन्होने शम्मी कपूर -आशा पारेख के साथ एक और हिट फ़िल्म “दिल देके देखो” (1959) बनाई। यह उषा खन्ना की बतौर संगीत-निर्देशक पहली फ़िल्म थी। देव आनंद आशा पारेख अभिनीत “जब प्यार किसी से होता है (1961) भी म्यूजिकल हिट थी “सौ साल पहले “मुझे तमसे प्यार था ” एवं ‘तेरी ज़ुल्फ़ों से, जुदाई तो नहीं माँगी थी ” बेहद लोकप्रिय हुए थे। “फिर वही दिल लाया हूँ” (1963 ) उनकी एक अन्य संगीतमय फिल्म थी जिसमें जॉय मुख़र्जी – आशा पारेख ने अभिनय किया था फिल्म के गीत ‘आँचल में सजा लेना कलियाँ’ एवं ‘आँखों से जो उतरी है दिल में’ हिट हुए।
नासिर नासिर के बैनर तले बनने वाली ‘तीसरी मंजिल’ (1966), ‘बहारों के सपने’ (1967)”प्यार का मौसम (1969), ”कारवां (1971), धर्मेंद्र-ज़ीनत अमान अभिनीत ‘यादों की बारात (1973), और ‘हम किसी से कम नहीं’ (1977) अन्य फिल्में हैं । मजरूह सुल्तानपुरी और आर. डी. बर्मन भी लम्बे समय तक उनके साथ जुड़े रहे।
विजय आनंद द्वारा निर्देशित हुसैन की “तीसरी मज़िल” में ‘ओ हसीना जुल्फोंवाली’, ‘ओ मेरे सोना रे’, ‘दीवाना मुझसा नहीं’ और ‘आजा आजा मैं हूं प्यार तेरा’ जैसे शानदार गाने थे; संगीत आर. डी. बर्मन का था। यह एक जबरदस्त सस्पेंस थ्रिलर थी.
