-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
उनकी जयंती पर
मिस इंडिया का ख़िताब जीतने वाली कई सुंदरियों का पंजाब से सम्बन्ध रहा है जिनमें जुही चावला ने शायद सर्वाधिक प्रसिद्धि अर्जित की। पंजाब के लुधिआना शहर में जन्मी छरछरे जिस्म वाली अभिनेत्री इस अभिनेत्री को मैंने पहली बार एक फिल्म की शूटिंग के दौरान 1988 में देखा था। “कयामत से कयामत तक” (1988) नाम की फिल्म बाद में ब्लॉकबस्टर साबित हुई। फिल्म ने कई इनाम भी हासिल किये जिनमें सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार भी शामिल था फिल्म में उनके साथ आमिर खान मुख्य भूमिका में थे. गोगा कपूर, दलीप ताहिल और रीमा लागू ने भी महत्वपूर्ण किरदार अभिनीत किये थे। निर्देशन प्रसिद्ध निर्देशक और निर्माता नासिर खान के बेटे मंसूर खान का था। उदित नारायण का गीत ‘पापा कहते हैं’ लोकप्रिय हुआ और इसे फिल्मफेयर अवार्ड मिला. दूसरा पुरस्कार संगीतकार की झोली में गया. मंसूर खान को बेस्ट निर्देशक का ख़िताब मिला।

बतौर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में जूही ने आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘हम हैं राही प्यार के’ (1993 ) के लिए पहला फिल्मफेयर अवार्ड जीता। फिल्म का एक गीत ‘घूँघट की आड़ में दिलबर का’ बेहद मक़बूल हुआ। निर्देशन महेश भट्ट का था। सन्नी देओल अभिनीत सल्तनत” (1986) से फ़िल्मी सफ़र शुरु करने वाली इस अभिनेत्री ने कई तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया एवं बटोरी . जिनमें “प्रेमलोक” (1987) उल्लेखनीय रही । जूही चावला को श्रीदेवी और ऋषि कपूर अभिनीत “चांदनी” (1989) में एक कैमियो भूमिका में लिया गया था। यश चोपड़ा ने उन्हें “आइना” (1993) में जैकी श्रॉफ के साथ लिया, इसके बाद ब्लॉकबस्टर “डर” (1993) आई जो एक सस्पेंस थ्रिलर थी जिसमें सनी देओल और शाहरुख खान थे। फिल्म सफल रहीऔर शाह रुख खान स्टार बन गये।

“लुटेरे” (1992) में सन्नी देओल और “इज्जत की रोटी” में ऋषि कपूर के संग काम किया। “द जेंटलमैन” (1994) में चिरंजीवी के साथ, “राम जाने” (1995) और “यस” बॉस” (1997) में शाहरुख खान और राहुल रवैल की “अर्जुन पंडित” (1999) में सनी देओल उनके नायक बने। डेविड धवन की “लोफ़र” (1996) में अनिल कपूर के साथ एवं “दीवाना मस्ताना” (1997) में अनिल गोविंदा उनके साथी कलाकार बने। महेश भट्ट की शाहरुख खान और सोनाली बेंद्रे अभिनीत “डुप्लिकेट” उनकी हिट फिल्मों में से एक थी। “सन ऑफ सरदार” (2014) में भी वह नज़र आयीं। नागेश कुकुनोर निर्देशित “3 दीवारें” (2003 ) को भी प्रशंसा मिली। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह भी थे वर्ष 1993 -1994 में अभिनेत्री की लगभग डेढ़ दर्ज़न फिल्में प्रदर्शित हुई। ‘शर्मा जी नमकीन’ उनकी आखिरी फिल्मों में से एक थी।
