-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
(1469-1539)
सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी में हुआ था। देश के बटवारे के बाद यह स्थान अब पाकिस्तान के शेखूपुरा जिले में स्थित है और ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है .हर साल सिख शर्द्धालुओं का एक जत्था पाकिस्तान रवाना होता है। देश विदेश से भी लोग वहां पहुँचते हैं। गुरु नानक जयंतीअथवा ‘प्रकाश उत्सव’ इस साल 14 नवंबर को मनाया जा रहा है इस अवसर पर नगर कीर्तन के इलावा रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जिन में ट्रेडीशनल ‘गतका जौहर’ भी शामिल रहते हैं। गुरु पर्व देश- विदेश हर जगह धूम- धाम मनाया जाता है जहाँ सिख धर्म के लोग बड़ी संख्या में बसे हुए हैं मसलन -अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड,थाईलैंड, साउथ अफ़्रीका ,फ्रांस और मिडिल ईस्ट।
गुरुनानक पर्व सिख धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। गुरु जी ने अपने ज्ञान ,चिन्तन आध्यात्मिक बोध से सिख धर्म को दिशा दी जिसके फलस्वरूप दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने एक नए धर्म की स्थापना की। अन्य सिख गुरुओं ने इसे समृद्ध किया। गुरु नानक जयंती के दिन प्रार्थना जुलूस, कीर्तन , मिष्ठान वितरण एवं सभी गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन किया जाता है जिसमे सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं..
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गुरुपर्व से एक दिन पहले ‘नगर-कीर्तन’ के रूप में एक जुलूस का आयोजन किया जाता है। इस जुलूस का नेतृत्व पंज प्यारे (पांच प्यारे) करते हैं जिनके हाथ में निशान साहिब होता है. .जुलूस शहर के विभिन्न हिस्सों और गुरद्वारों से मुख्य गुरूद्वारे पर समाप्त होता है। जगह जगह पंडाल लगाए जाते हैं और सभी लोगों को मिठाई ,चाय , कड़ाह प्रसाद , कोल्ड ड्रिंक एवं अन्य वस्तुएं सर्व की जाती हैं.
मोहाली (पंजाब) स्थित गुरुद्वारा सिंह शहीदां में गज़ब का उत्साह होता है.मैंने ऐसा अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा। श्रद्धालुओं को जूस, आइसक्रीम,फल से लेकर ड्राई फ्रूट तक सर्व किये जाते हैं। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक धुनें बजाने वाले ब्रास बैंड, और हैरतअंगेज़ मार्शल आर्ट का प्रदर्शन करने वाले सिख नौजवान आकर्षण का मुख्य केंद्र रहते हैं. फूलों से सजी पालकी देखने लायक होती है. गोल्डन टेम्पल का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है और लाखों की संख्या में देश विदेश से श्रद्धालु ‘गुरु की नगरी’ अमृतसर पहुंचते हैं।
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चंडीगढ़ में कल नगर कीर्तन का आयोजन किया गया सेक्टर 19 के गुरूद्वारे से होते हुए श्रद्धालु संगत शहर के विभिन्न हिस्सों से गुजरी। हर जगह संगत का स्वागत हुआ और प्रसाद के साथ चाय और मिठाइयाँ बांटी गई। सेक्टर 8 और 34 के गुरुद्वार साहिब में भी रौशनी की गई और बड़ी संख्या में श्रद्धालु वहां पहुँचे .मोहाली में भी नगर कीर्तन का आयोजन हुआ।
गुरु ग्रंथ साहिब के मुख्य छंदों में विस्तार से बताया गया है कि ‘ब्रह्मांड’ का निर्माता एक है वही सभी की रक्षा करता है। गुरुनानक की रचनाएं , उनके छंद मानवता, भाईचारे ,सभी की समृद्धि और सामाजिक न्याय के प्रेरणा सूत्र हैं जो निस्वार्थ सेवा को प्रमुखता देते हैं. गुरुग्रंथ साहिब दुनियां का एकमात्र ऐसा ग्रन्थ है जिसमे छोटे से छोटे व्यक्ति को भी स्थान दिया गया है और उसका गुणगान किया गया है. संत रवि दास ,बाल्मीकि कबीर और तुलसी सहित दर्जनों सज्जनों के कृत्यों का ज़िक्र और सराहना विस्तार से की गयी है. 1969 में गुरु नानक देव जी के जन्मदिन की 500वीं वर्षगांठ मनाई गयी थी। इस अवसर पर पूरे विश्व में समागम हुए थे।
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