-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
उनकी पुण्यतिथि पर
‘हवा के साथ साथ
घटा के संग संग
ओ साथी चल
मुझे लेके साथ चल तू
यूँ ही दिन-रात चल तू
सम्भल मेरे साथ चल तू
ले हाथों में हाथ चल तू
ओ साथी चल’
9 जुलाई 1938 को जन्मे हरिहर जरीवाला जिन्हें फ़िल्मों में संजीव कुमार के नाम से जाना गया एक शांत और एक मंजे हुए अभिनेता थे। “गुनहगार” “स्मगलर”, “बादल”, “निशान” और “अलीबाबा 40 चोर” जैसी ‘बी’ ग्रेड फिल्मों में स्टंट भूमिकाएँ करने वाले संजीव कुमार ने अभिनेता एच.एस.रावैल की फिल्म संघर्ष (1968) में अपने अभिनय का लोहा मनवाया जिसमें दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला, जयंत और बलराज साहनी सरीखे कई दिग्गज़ अभिनेता थे. दिलीप कुमार की बाहों में मरने वाले दृश्य में उनकी अभिनय कुशलता देखते ही बनती थी। फिल्म ने उनके भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त किया। इससे पूर्व उनकी दो फ़िल्में “हम हिंदुस्तानी” (1960) और “आओ प्यार करें” (1964) बॉक्स ऑफिस पर सफल हो चुकी थी.

वर्ष 1968 उनकी कई फिल्मों – आशीर्वाद, अनोखी रात, राजा और रंक, साथी और शिकार प्रदर्शित हुई। ”राजा और रंक” फ़िल्म को बच्चों और परिवारवालों ने बेहद पसंद किया. फिल्म के कई गीत चर्चित हुए मसलन – ‘फिरकीवाली तू कल फिर आना’, और ‘मेरा नाम है चमेली’ सी.वी. श्रीधर की ‘साथी’ (1968) में उन्होने राजेंद्र कुमार, वैजयंतीमाला, सिम्मी ग्रेवाल साथ काम किया और यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर सफल रही। फ़िल्म के गीत ‘मेरा प्यार भी तू है, ‘ये कौन आया रौशन हो गई महफ़िल’ बेहद्द मकबूल हुए. फिल्म का संगीत नौशाद ने तैयार किया था आशा भोसले द्वारा गाया हिट गीत ‘परदे में रहने दो, पर्दा न उठाओ ‘ बॉक्स ऑफिस पर कामयाब फिल्म ‘शिकार’ से था जिसमें धर्मेंद्र और आशा पारेख ने अभिनय किया था। फिल्म ने 4 श्रेणियों में फिल्मफेयर पुरस्कार जीते, जिसमें संजीव कुमार- सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता, आशा- सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका, जॉनी वॉकर-सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता के पुरस्कार भी शामिल थे ।
1969 में “जीने की राह”, “सत्यकाम” और “सच्चाई” फ़िल्में प्रदर्शित हुई। सभी ने कामयाबी हासिल की। एल. वी. प्रसाद की “खिलौना” (1970) उनके करियर का चरमोत्कर्ष थी। वह एक अमीर आदमी के बेटे की भूमिका निभाते हैं, जिसकी प्रेमिका की शादी उसके पड़ोसी शत्रुघ्न सिन्हा से हो जाती है और वह दिवाली की रात आत्महत्या कर लेती है। सदमे में संजीव मानसिक रूप से विकलांग हो जाते हैं । ठाकुर पिता का मानना है कि अगर विजय की शादी हो जाती है, तो उसका मानसिक मानसिक संतुलन ठीक हो जाएगा। तवायफ चांद (मुमताज) विजय की पत्नी बनकर उसके जीवन में सुधार लाने में मदद करती है लेकिन चांद को विजय की मां और उसके बड़े भाई किशोर पसंद नहीं करते ।पागलपन की हालत में विजय (संजीव कुमार) एक दिन चांद का बलात्कार कर देता है। लेकिन उसके बाद धीरे धीरे उसका व्यवहार चाँद के प्रति अच्छा होने लगता है. इससे उसकी हालत में सुधार होने लगता है। फिल्म में लक्मीकांत प्यारेलाल द्वारा रचित गाने हैं जैसे ‘सनम तू बेवफा के नाम से मशहूर हो जाये ‘, ‘खुश रहे तू सदा, और ‘खिलौना जानकर तुम भी मेरा दिल’। आनंद बक्शी द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 35 मिलियन डॉलर कमाए। रमेश सिप्पी की हेमा मालिनी अभिनीत “सीता और गीता” (1972), जुड़वाँ बच्चों की कहानी थी , जो अपनी भूमिकाएँ बदलते लेते हैं.फिल्म में धर्मेंद्र एवं संजीव ने अभिनय किया- ‘ओ साथी चल’ और ‘अभी तो हाथ में जाम है’ फिल्म के चर्चित गीत थे बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाते हुए फिल्म ने 19 कऱोड रुपये से अधिक की कमाई की।

जे.ओम प्रकाश द्वारा निर्देशित “आप की कसम” (1974) एक ईर्ष्यालु पति राजेश खन्ना पर केंद्रित है जो अपनी प्रिय पत्नी (मुमताज़ द्वारा अभिनीत) और मित्र (संजीव कुमार) पर संदेह करता है.मुमताज अपने पति को यह समझाने में विफल रहती है कि वह केवल उसी से ही प्यार करती है। भ्रमित राजेश उसे बेघर भटकने के लिए छोड़ देता है जब वह गर्भवती होती है। सुनीता (मुमताज) अपने बच्चे के सुखी भविष्य को ध्यान में रखते हे हुए संजीव कुमार से शादी कर लेती है। कई सालों बाद पति घर वापिस आता है जब उसकी बेटी की शाद्दी हो रही होती है। फिल्म में म्मताज़ और हीरो खन्ना पर कई मार्मिक दृश्य फिल्माये गए हैं जो पति पत्नी के सम्बन्धों एवं संदेह को दर्शाते हैं जिसका श्रेय मैं निर्देशक जे. ओम. प्रकाश को देता हूँ ‘जिंदगी के सफर में गुज़र जाते हैं जो मक़ाम’ यादगार गीत है जिसमें ईर्ष्यालु पति की असफ़लता को उचित ठहराया गया है। ‘जय जय शिव शंकर’ 1974 में आई बिनाका गीत माला का दूसरा सुपरहिट गीत था। संजीव कुमार को “आंधी” (1975) और “अर्जुन पंडित” (1976) में उनके शानदार अभिनय के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार और “शिकार” (1968) में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया। दस्तक (1971 ) एवं कोशिश (1973 ) में अभिनय के लिए उन्हें राष्ट्रीयपुरस्कार से नवाज़ा गया।
