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‘मन्ना डे-एक बेहतरीन क्लासिकल सिंगर’

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-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से

पुण्यतिथि पर विशेष

ये शोखियाँ ये बाँकापन
जो तुझ में है कहीं नहीं
दिलों को जीतने का फ़न
जो तुझ में है कहीं नहीं
मैं तेरी
मैं तेरी आँखों में पा गया दो जहाँ

शास्त्रीय संगीत के उस्ताद कहे आने वाले मन्ना डे ( प्रबोध चंद्र डे ) को हालांकि रफ़ी, किशोर कमर और मुकेश जैसे गायकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता लेकिन गायन के क्षेत्र में उनकी प्रतिभा को नज़र अंदाज़ भी नहीं किया जा सकता। अपने दो गीतों ‘धरती कहे पुकार के’ और ‘सावन ढोल बात आया’ ( ‘दो बीघा जमीन’ -1953 ) के साथ राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और लोकप्रियता अर्जित करने वाले इस गायक ने अपनी फ़िल्मी सफर में कई कठिन दौर देखे और देश विदेशों में कई सफल स्टेज शो भी किये। उन्हें शास्त्रीय संगीत के बेहतरीन गायकों में से एक माना जाता था।

राज कपूर ने उन्हें आवारा, चोरी-चोरी और बाद में मेरा नाम जोकर में दोहराया। ‘ये रात भीगी भीगी’ और ‘आ जा समन मधुर चांदनी में हम’ ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ाया। उनके अन्य उल्लेखनीय गीतों में ऐ मेरे प्यारे वतन शामिल हैं। (काबुलीवाला), अरे किसने चिलमन से मारा (बात एक रात की), मस्ती भरा ये समा (परवरिश) झूमता मौसम मस्त महीना’ (उजाला), लागा चुनरी में दाग (दिल ही तो है), तू छुपी है कहां (नवरंग), टू प्यार का सागर है (सीमा) और कौन आया मेरे मन के द्वारे (देख कबीरा रोया) चर्चित रहे. बूट पॉलिश (1954),देवदास और झनक झनक पायल बाजे (1955 ), दो आँखें बारह हाथ (1957), पराया धन, रेशमा और शेरा (1971)सीता और गीता, शोर ((1972 )उनकी अन्य चर्चित फ़िल्में हैं

एक शास्त्रीय गायक के रूप में उनकी क्षमता हमेशा निर्विवाद रही। उन्होंने महेश्वरी बंधुओं द्वारा निर्मित और निर्देशित पंजाबी फिल्म “नानक नाम जहाज है” के लिए भी शब्द गाये । एस.मोहिंदर के संगीत से सुसज्जित इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ संगीत का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। मन्ना डे ने रफी के साथ ‘ये इश्क इश्क है’ (बरसात की रात), और ‘तू हे मेरा प्रेम देवता’ (कल्पना) जैसे युगल गीत गाये राज कुमार अभिनीत फिल्म “मेरे हुजूर” (1968) के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया. मन्ना डे ने’मेरा नाम जोकर’ (1972) के लिये फिल्मफेयर परस्कार भी जीता। 1971 में मन्ना डे को पद्म श्री , 2005 पद्म भूषण और 2007 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी अलंकृत किया गया। मन्ना डे का विवाह 1953 में सलोचना से हुआ.

घायल मन का, पागल पंछी उड़ने को बेक़रार
पंख हैं कोमल, आँख है धुँधली, जाना है सागर पार
जाना है सागर पार
अब तू हि इसे समझा, राह भूले थे कहां से हम
तू प्यार का सागर है

1 मई 1919 को कलकत्ता में जन्में मन्ना डे का 24 अक्टूबर 2013 में देहांत हो गया

Jagmohan Singh Barhok

Leading Film , Fashion ,Sports & Crime Journalist Up North. Active Since 1971.Retired Bank Officer. Contributed more than 7000 articles worldwide in English, Hindi & Punjabi languages on various topics of interesting & informative nature including people, places, cultures, religions & monuments. Ardent Music lover.

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