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“जायें तो जायें कहां”

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-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से

एक हमें आँख की लड़ाई मार गई
दूसरी तो यार की जुदाई मार गई
तीसरी हमेशा की तन्हाई मार गई
चौथी ये खुदा की खुदाई मार गई
बाकी कुछ बचा तो मंहगाई मार गई

‘बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गयी ‘ यह गीत फिल्म रोटी ,कपडा और मकान से है जो सत्तर के दशक में रिलीज़ हुई थी। फिल्म में अमिताभ बच्चन, प्रेम नाथ, मनोज कुमार भी थे। संयोग से आज #अमिताभ का जन्म दिन है। महंगाई हमारे देश में पूरे उफान पर है। खाने पीने की चीज़ें विशेष रूप से सब्जियों में आग लगी हुई है.शिमला मिर्च 140 -160 ,आलू 40 , प्याज 70 (2022 अक्टूबर में 35 रेट था ) , टमाटर 120 -140 प्रति किलो ( वैरायटी वह भी हाइब्रिड ), फूल गोभी 100 -140 (2022 में 80 -100 का भाव था ) ,और मूली ( 60 -80 घटिआ किस्म की ) के भाव में बिक रही है।अदरक 50 पाव, मीट 850 -1000 पनीर 360 किलो के हिसाब से बेची जा रही है। सेब सस्ता है 60 से 100 तक। सब से बढ़िया किस्म का 150 प्रति किलो . एक अंडा 7 रपये का मिल रहा है। 30 की ट्रे 180 -200 तक बिक रही है। इलेक्शन में जो ‘रेवड़ियां’ बांटी जा रही हैं यह उसका असर है। पिछले 53 वर्षों में कोई बड़ी जंग नहीं हुई तब ये हाल है। सूखा पड़ता है तब दाम बढ़ जाते हैं. बारिश हो जाये तो तब और कोई आंदोलन हो जाये तो तब – हर कोई माल कूटने की फ़िराक़ में रहता है बाजार में अंडरवियर बनियान , टॉवल सभी कुछ चाइना का बिक रहा है। यहाँ से बाहर एक्सपोर्ट होता है। फिर वहां से ठप्पा लग कर ब्राँडेड बनकर दोबारा इंडिया आ जाता है लोग ‘चाव’ से पहनते हैं.

फिल्म ”टैक्सी ड्राइवर’ का गीत था “जायें तो जायें कहां समझेगा कौन यहां , दर्द भरे दिल की ज़ुबान” अब वही गीत लगभग पूरा देश इस रूप में गुनगुना रहा है ” खायें तो खायें कहां समझेगा कौन यहां , दर्द भरे दिल की ज़ुबान, जायें तो जायें कहां”



Jagmohan Singh Barhok

Leading Film , Fashion ,Sports & Crime Journalist Up North. Active Since 1971.Retired Bank Officer. Contributed more than 7000 articles worldwide in English, Hindi & Punjabi languages on various topics of interesting & informative nature including people, places, cultures, religions & monuments. Ardent Music lover.

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