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“टीचर्स दिवस पर सभी को शुभकामनायें “

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-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से

आज ‘टीचर्स दिवस’ पर उन टीचर्स को बधाई जिन्होंने ‘पूरी लगन’ से अपने पेशे को अंजाम दिया . पुराने समय में राजा महाराजा लोग अपने बच्चों को ऋषि मुनियों के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते थे, उस वक्त किसी को तनख्वाह नहीं मिलती थी, सिर्फ ‘दक्षिणा’ के रूप में कुछ मिलता था। इस संदर्भ में ‘एकलव्य’ का किस्सा सभी जानते हैं जिससे दक्षिणा के तौर अंगूठा माँगा गया था। उस वक्त किताबें नहीं होतीं थी. समय के साथ किताबों की रचना हुई और विभिन्न विषयों पर किताबें लिखी गई जो पाठ्यक्रम का हिसा बनी। इन किताबों को कई नामी लेखकों ने लिखा था. उसके साथ साथ पेंसिल, रबड़ ,पेन स्याही और कागज का भी प्रयोग होने लगा. शिक्षा के साथ साथ शिक्षा से सम्बंधित उद्योग फलने फूलने लगा। आजकल इस उद्योग से सम्बंधित लोग करोड़ों में खेल रहे हैं।


शुरू शुरू में टीचर्स को ‘मास्टरजी’ पुकारा जाता था जो दूर दराज़ के इलाकों में बच्चों को शिक्षा देने आया करते थे उनकी सैलरी 40-50 रुपये प्रतिमाह होती थी। कई फिल्मों में भी उन्हें चित्रित किया गया है, ‘#’तारे ज़मीन पर ‘ (2007), आमिर खान अभिनीत ऐसी ही फिल्म है। जीतेन्द्र, सिम्मी , अमिताभ बच्चन,रानी मुख़र्जी, शाहिद कपूर ने भी शिक्षा से सम्बंधित किरदार निभाए हैं। आज यूनिवर्सिटी के टीचर लाखों की कमाई सिर्फ़ ट्यूशन से कर रहे हैं। चंडीगढ़ के एक नामी कॉलेज के टीचर ने, जो इंग्लिश का प्रोफेसर था, मुझे 1998 में बताया था कि उसे इतनी तनख्वाह मिलती है कि खत्म ही नहीं होती। पत्नी अलग से 70000 कमाती है।


देश के आज़ादी के बाद अधिकतर परिवारों में 5 से 7 बच्चे होते थे। जिनकी 4-5 लड़कियाँ पैदा होती थीं, उनमें से अधिकतर उन्हें ‘बीएड’ करवा देते थे ताकि वे जीवनयापन कर सकें आज लड़कियां हर क्षेत्र में काम कर रही हैं। टीचिंग सिस्टम में भी कई बदलाव हो चुके हैं लड़कियों के लिए टीचिंग सबसे आसान और साफ़ सुथरा व्यवसाय माना जाता है. काम की भी कोई अधिकता नहीं रहती और सैलरी भी अच्छी मिलती है ,खासतौर पर सरकारी टीचर्स को.


आज का दिन पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर राधाकृष्णन की ‘स्मृति’ में मनाया जाता है जो देश के दूसरे राष्ट्रपति थे। बच्चों को योग्य बनाने में टीचर्स का अभूतपूर्व योगदान रहा है. आज भी कुछ बच्चे टीचर्स से अत्यधिक लगाव रखते हैं और सिर्फ उनकी कही बात को ही सत्य मानते हैं।

Jagmohan Singh Barhok

Leading Film , Fashion ,Sports & Crime Journalist Up North. Active Since 1971.Retired Bank Officer. Contributed more than 7000 articles worldwide in English, Hindi & Punjabi languages on various topics of interesting & informative nature including people, places, cultures, religions & monuments. Ardent Music lover.

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