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“पैसे का मोहजाल विरुद्ध कर्मठता”

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जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से

भारत एक विकासशील देश है जिसमें 80 करोड़ लोगों को केंद्र सरकार मुफ्त राशन और अन्य सुविधाएँ मुहैय्या करवाती है 144 करोड़ जनसंख्या वाले देश में देश में टैक्स देने वालों की संख्या 3 करोड़ से कम है. कुल 7 -8 करोड़ लोग ही टैक्स return दाखिल कराते हैं जिनमें कर्मचारी , बड़े व्यापारी और संस्थाएं ही शामिल हैं. अधिकतर लोग टैक्स जमा ही नहीं करवाते। आप किसी डॉक्टर के पास चले जाओ अंदर घुसते ही रिसेप्शनिस्ट सबसे पहले आपसे 500 रुपये लेगी लेकिन रसीद नहीं देगी एक सफल डॉक्टर के पास रोज़ाना दो सेशन के दौरान कम से कम काम 80 मरीज़ आते हैं इंजेक्शन टेस्ट्स आदि का खर्चा जोड़कर यह राशि कम से कम 50 -60 हज़ार रोज़ाना बनती है मतलब 15 लाख महीना और 2 करोड़ वार्षिक. ज़रा देखिये कितने डॉक्टर इस हिसाब से टैक्स चुकाते हैं. यहां तक की कई बड़े हॉस्पिटल मांगने पर ही अनमने भाव से रसीद देते हैं। यही हाल व्यापारियों और इंडस्ट्रियलिस्ट्स का है जिनकी आमदनी कई गुना है लेकिन कुल कमाई का वे 10 -15 % से ज्यादह टैक्स नहीं चुकाते इसीलिए शॉपिंग मॉल्स और रेस्टॉरेंट्स खचाखच भरे रहते हैं अन्यथा ऐसा संभव नहीं होता। जो सरकार आती है वह अपना हिसाब करके चली जाती है इसी कारण आज़ादी के 77 वर्ष बाद भी हम अधिकतर क्षेत्रों में छोटे छोटे देशों से पिछड़े हुए हैं और चीन दक्षिणी कोरिया जैसे देश कहीं आगे निकल गए हैं। भाई भतीजावाद , धर्म जातिवाद अभी भी शबाब पर हैं।

आज राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस है इस अवसर पर मैं इलाहाबाद के डॉक्टर रमेश चन्दर का उल्लेख करना चाहूंगा जो आनंद भवन के निकट एक विशाल कोठी में रहते थे और एक साथ 4 मरीज़ों को कक्ष में बुलाते थे और फिर उन्हें बाहर छोड़ने के लिए आते थे. इसके बाद बाहर बैठे मरीज़ों को वे अंदर ले जाते थे। कोठी के लॉन में दो कम्पाउण्डर मरीज़ों को देखते थे और ज़रुरत के मुताबिक उनको अंदर रेफर करते थे. बैंक के एक डॉक्टर जैन जिनका क्लिनिक सेक्टर 21 चंडीगढ़ में है वे भी मरीज़ों की सही देख भाल करने के बाद ही उन्हें आगे रेफर करते थे. मेरे परिवार से सम्बंधित दो लोग सीरियस थे उन्होंने उन्हें डॉक्टरी मदद मुहैय्या करवाने के बाद ही आगे रेफर किया. उनमें से एक मरीज़ को उसके बाद मैं सेक्टर 35 स्थित कार्डिओलॉजिस्ट डॉक्टर Bhatia के पास ले गया जिन्होंने ज़रूरी इलाज़ के बाद मरीज़ को सेक्टर 31 चंडीगढ़ रेफर किया यह 2000 की बात है। दूसरे डॉक्टरों ने ऐसा करने से मना कर दिया था। मेरी माता जी की मृत्यु के बाद सेक्टर 68 मोहाली में , कुछ गज़ दूर रहने वाले एक नामी डॉक्टर ने जो एक सोसाइटी के सामने घर पर ही प्रैक्टिस करता था और जिसके घर के आगे एक ऑडी गाडी हमेशा पार्क थी , ने उन्हें देखने से मना कर दिया था मृत्यु की कन्फर्मेशन हेतु मैं बड़ी मुश्किल से एक लेडी डॉक्टर को लाया था। उसके बाद हमने अमेरिका और इंग्लैंड में अपने रिलेटिव्स को मौत की खबर दी थी।


PGI में भी ट्रेनी डॉक्टर , मरीज़ों की अधिक संख्या होने के बावजूद ,सही इलाज़ करते हैं- आज राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के अवसर पर ऐसे सभी कर्मठ डॉक्टर्स का अभिनन्दन

Jagmohan Singh Barhok

Leading Film , Fashion ,Sports & Crime Journalist Up North. Active Since 1971.Retired Bank Officer. Contributed more than 7000 articles worldwide in English, Hindi & Punjabi languages on various topics of interesting & informative nature including people, places, cultures, religions & monuments. Ardent Music lover.

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