-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
‘ना कजरे की धार
न कोई किया सिंगार
फिर भी कितनी सुन्दर हो
तुम कितनी सुन्दर हो’
फिल्म: मोहरा-1994
प्रसिद्ध ग़ज़ल और पार्श्व गायक पंकज उधास किसी परिचय के मोहताज़ नहीं है। उनका पहला एल्बम ‘आहट’ (1980) था, जिसके बाद ‘तरन्नुम’ (1982), ‘महफ़िल’ (1983) और ‘पंकज उधास लाइव एट रॉयल अल्बर्ट हॉल’ सहित कई एल्बम आए।ये दिल्लगी, ‘मोहरा, ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’, ‘घर की इज्जत’, ‘जय विक्रांता’, ‘गोला बारूद’, ‘लाल दुपट्टा मलमल का ‘ समेत कई फिल्मों के लिए उन्होंने गीत गाये।

आम लोग उन्हें एक गायक के रूप में जानते हैं जिन्होंने संजय दत्त और अमृता सिंह अभिनीत फिल्म “नाम” का लोकप्रिय गीत “चिट्ठी आई है” गाया था। किशोर कुमार के साथ उनका गीत “मुन्ने की अम्मा ये तो बता” भी पसंद किया गया था . “तेरे घुंघरू टूट गये तो क्या- भी लाजवाब था। फिल्म साजन में भी उनकी सोलो परफॉरमेंस बढ़िया थी .
जीयें तो जीयें कैसे बिन आपके
जीयें तो जीयें कैसे बिन आपके
लगता नहीं दिल कहीं, बिन आपके
फिल्म -साजन
पंकज उधास से मेरी मुलाकात एक पार्टी के दौरान बांद्रा में हुई थी. उनका कहना था की मीडिया ग़ज़ल सिंगर को ज्यादह कवरेज नहीं देता खासतौर पर गैर- फ़िल्मी गानों को। उन्होंने हर बात का जवाब संक्षेप में और स्पष्ट दिया।तीन भाइयों में सबसे बड़े उनके भाई मनहर उधास ( लूटे कोई मन का नगर बन के मेरा साथी-फिल्म अभिमान ) जाने माने भजन और पार्श्ववगायक हैं. उनकी प्रेरणा से ही वह गायक बने।उनके दूसरे बड़े भाई निर्मल उधास भी प्रसिद्ध गज़ल गायक रहे हैं। पंकज उधास की निम्न ग़ज़ल किसी समय बेहद लोकप्रिय हुआ करती थी और मयखानो में अक्सर सुनने को मिलती थी।
