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“आँख खोलने वाली पोस्ट -गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर”

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-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से

आज सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का जनम दिवस या प्रकाश उत्सव मनाया जा रहा है. आज से कोई 400-500 वर्ष पहले हिंदुस्तान पर मुग़लों का शासन था और हिन्दू और मुस्लिम दो ही धर्म थे। मुग़ल शासक हिन्दुओं पर तरह तरह के अत्याचार करते थे और धार्मिक रूप से भी उन्हें प्रताड़ित किया करते थे. इससे अधिक व्याख्या करना मैं उचित नहीं समझता। उस वक्त मुग़लों के अत्याचारों का जवाब देने का बीड़ा जिस व्यक्ति ने उठाया उसका नाम ही बाद में गुरु गोबिंद सिंह पड़ा. नए धर्म की पहचान के लिए उन्होंने उन्हें केस (बाल) धारण करने के लिए वचनबद्ध किया ताकि उनकी अलग से पहचान हो सके। उसके बाद सिख मिलिटेंट्स के रूप में पहचाने जाने लगे और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए मुठ्ठी भर सिखों ने कई युद्ध लड़े और मुग़लों के दांत खट्टे किया जिसका इतिहास साक्षी है इस दौरान उन्होंने अपने चारों बच्चों की कुर्बानियां भी दी. हैरानी का विषय है कि उस व्यक्ति के जन्म दिवस पर किसी भी सरकार ने कभी छुट्टी की घोषणा नहीं की अपितु वोट बैंक के मद्देनज़र अन्य जातियों/धर्मों के संतो के लिए इसका विकल्प रखा.

यहां उल्लेखनीय है कि देश की आज़ादी के बाद हुई पहली जनगणना में तत्कालीन जनसंघ को मात्र 3 ट मिली थी जबकि उस वक़्त भी भारत हिन्दू राष्ट्र था और हिन्दू धर्म का वर्चस्व था। 1951 -52 में हुयी पहली लोकसभा के दौरान 499 सीटों के लिए मुक़ाबला हुआ जिसमें कोंग्रस को 364 सोशलिस्ट पार्टी को 12 अकाली दाल को 4 और जनसंघ को मात्रा 3 सीट मिली। इस समय बीजेपी (जनसंघ का नया नाम) 303 और इंडियन नेशनल कांग्रेस 52 सीट जीत कर पहले और दूसरे स्थान पर हैं। 1957 में कांग्रेस को 371 और जनसंघ को 4 सीट मिली. 1962 में आंकड़ा 361 और 14; 1967 में 283 और 35 , और 1971 में 352 /22 था.

1977 की इलेक्शन भारतीय लोक दल के झंडे तले लड़ी गयी जिसमे उन्हें 295 और कांग्रेस को 154 सीट पर जीत मिली जनसंघ भारतीय लोक दल का हिस्सा थी. 1980 में कांग्रेस फिर 353 पर आ गयी भारतीय लोक दल बिखर गया और दो हिस्सों बंट गया जनता पार्टी (1) जनता पार्टी (2) दोनों को 41 और 31 सीट मिली.

अब शुरू होती है असली जंग . 1984 में सिख दंगे , ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद कांग्रेस 414 सीट जीत गई. बीजेपी को मात्र 2 दोहराता हूँ मात्र 2 सीट मिली। ऑपेरशन ब्लू स्टार के बाद सिखों ने अपनी संख्या के हिसाब से बाज़ी पलट दी और कांग्रेस को खारिज करते हुए भारतीय जनता पार्टी को 2 से 85 पर पहुंचा दिया. कांग्रेस 414 से 197 पर सिमट गयी और दोबारा उभर नहीं सकी। उसके बाद भी देश भर के सिख समुदाय ने मूड नहीं बदला और भारतीय जनता पार्टी को कभी 85 से नीचे नहीं आने दिया 1992 में आंकड़ा 232 / 120 और 1996 में फिर 161 और 140 हो गया। कारवां बढ़ता गया लोग जुड़ते चले गये कुछ हिन्दू वोटर्स अटल बिहारी वाजपेयी के कारण शामिल हुए 1998 में भारतीय जनता पार्टी 182 और कांग्रेस 141 पर आ गयी 1999 में आंकड़ा 182 / 114 कांग्रेस रहा.

2004 में कांग्रेस ने कम सीट के चलते मिली जुली सरकार बनाई। 2009 में कुछ हिन्दू वोटर्स फिर पलट गये लेकिन सिख वोटर्स पीछे नहीं हटे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को नीचे नहीं गिरने दिया . 2014 में कांग्रेस की अंदरूनी कमजोरियों और भ्रष्टाचार के मुखरित अभियान के चलते कांग्रेस 44 पर सिमट गयी. भारतीय जनता पार्टी को 282 सीट जीतने का स्वाद मिला जो अब बढ़कर 303 हैं।

इस वर्ष चुनाव होना है . जीत के लिए 272 सीट की दरक़ार है .20 -30 सीट ऊपर नीचे होने से बाज़ी पलट सकती है . इसलिए अगर सरकार जीतती है तो उसे आज के दिवस को तुरन्त नेशनल हॉलीडे घोषित करना चाहिये कोई भी सरकार अगर ऐसा करती ही तो वह सिखों पर कोई एहसान नहीं करेगी क्योंकि बैंक की यूनियन हफ़्ते में 5 दिन काम करने पर जोर लगा रही हैं इस हिसाब से उन्हें 52 दिन की और राहत /छुट्टी मिलेगी। सीनियर सिटिज़न अगर चरित्रवान रहे तो हो सकता है इस बार कुछ भारतीय जनता पार्टी को वोट न दे. बैंक वाले अलग से विरोध कर रहे हैं . बैंको में 5, 10 और 20 रुपये के नोट नहीं मिल रहे। लगता है सरकार किसी खास कारण से प्रिंटिंग नहीं करवा रही। पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. इसके इलावा राज्य स्तर पर भी सरकारें मिल कर लड़ेंगी जिसका असर हो सकता है। इसलिए वर्तमान सरकार को फूँक फूँक कर कदम रखना पड़ेगा. 1952 में देश की आबादी 37 करोड़ और 2019 में 138 करोड़ थी .

बैंक की एक वेबसाइट पर एक अधिकारी ने लिखा था कि ‘जो हिंदू राम को नहीं मानता वह हिन्दू काहे का’. कांग्रेस में हिन्दू तो हैं पर वह राम को नकारती है। इसके इलावा ये भी ज़रूरी नहीं है कि जो राम को मर्यादा पुरुषोत्तम मानता हो वह भारतीय जनता पार्टी को ही वोट करे. पेंशनर्स की दुविधा अलग है। मैदान-ए -जंग में एक एक तीर काम आता है।

मोहब्बत और जंग में हर चीज़ जायज़ मानी जाती है लगातार 10 वर्ष के बाद जीतंने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। नेहरू तीसरी बार जीते थे तो कोई विरोधी नहीं था। जनसंघ के तरकश में भी उस वक़्त विरोध करने लायक कोई तीर नहीं था मात्र 2-4 सीट थी। देखना है इस बार जीत आसान होती है या कड़ी टक्कर के बाद मिलती है?

गुरु गोबिंद सिंह प्रकाश पर्व पर सभी को हार्दिक बधाई

Jagmohan Singh Barhok

Leading Film , Fashion ,Sports & Crime Journalist Up North. Active Since 1971.Retired Bank Officer. Contributed more than 7000 articles worldwide in English, Hindi & Punjabi languages on various topics of interesting & informative nature including people, places, cultures, religions & monuments. Ardent Music lover.

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