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“नए साल के उपलक्ष्य में गीतों भरी एक शाम”

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प्रस्तुति: जगमोहन सिंह बरहोक

-ये चांद सा रोशन चेहरा,
ज़ुल्फ़ों का रंग सुनहरा
ये झील सी नीली आँखें,
कोई राज़ है इनमें गहरा
तारीफ़ करूँ क्या उसकी,
जिसने तुम्हें बनाया

एक चीज़ क़यामत सी है, लोगों से सुना करते थे
तुम्हें देख के मैंने माना, वो ठीक कहा करते थे
वो ठीक कहा करते थे
है चाल में तेरी ज़ालिम, कुछ ऐसी बला का जादू
सौ बार सम्भाला दिल को, पर हो के रहा बेकाबू
तारीफ़ करूँ क्या उसकी…
Kashmir Ki Kali
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गेसु बनी ज़जीरें
क़ैद हुई तक़दीरें
नाच रही हैं जवनियां
जैसे तेरी तस्वीरें
है तेरा नाम भी
शगूफा है बहार का

जिसने सुना खो गया
पूरा नशा हो गया
छेड़ा मेरे दिल ने
तराना तेरे प्यार का
Asli Naqli


……………………….

क्या जाने किस क़ुसूर की, दी हैं मुझे सज़ाएं
दीवाना कर रही हैं, तौबा शिकन अदाएं
ज़ुल्फ़ों में मुहँ छुपाकर, मुझको लुभा रही है

वो देखो मुझसे रूठकर, मेरी जान जा रही है
तुम ने किसी की जान को जाते हुए देखा है
वो देखो मुझसे रूठकर, मेरी जान जा रही है


Rajkumar
………………………

टूट ना जाये सपने मैं डरता हूँ
नित दिन सपनों में देखा करता हूँ
नैना कजरारे मतवारे ये इशारे
खाली दरपन था ये मन मेरा
रच गया रूप इस में तेरा

कोरा कागज़ था ये मन मेरा
लिख लिया नाम इस पे तेरा


Aradhana

Jagmohan Singh Barhok

Leading Film , Fashion ,Sports & Crime Journalist Up North. Active Since 1971.Retired Bank Officer. Contributed more than 7000 articles worldwide in English, Hindi & Punjabi languages on various topics of interesting & informative nature including people, places, cultures, religions & monuments. Ardent Music lover.

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