-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
“सतगुरु नानक परगटिआ मिटी धुंध जग चानण होया “( शाब्दिक अर्थ -सतगुरु नानक के धरती पर प्रकट होते ही धुंध छंट गई और उजाला हो गया. मतलब जगत प्रकाशमान हो गया ).
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469, को लाहौर के निकट तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में पिता कालू और माता तृप्ता के घर हुआ था. गुरु नानक (1469-1539) सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु थे। उनका जन्म स्थान ननकाना साहिब ( अब पाकिस्तान में एक डिस्ट्रिक्ट ) के नाम से मशहूर है। हर वर्ष गुरु साहिब के प्रकाश उत्सव से पूर्व सिख श्रद्धालुओं का एक जत्था भारत से पाकिस्तान जाता है और श्रद्धा पूर्वक गुरु पुरब मनाता है. विदेशों में बसे पंजाबी और सिक्ख अक्सर वहां आते जाते रहते हैं। गोल्डन टेम्पल की इस दिन छठा ही निराली होती है विशेषरूप से रात्रि के वक़्त।

इस दिन देश में सभी स्थानों पर उत्सव सा माहौल रहता है। लंगर लगाए जाते हैं मिठाइयाँ बाटी जाती हैं। चंडीगढ़ में कई गुरूद्वारे हैं .बैंक से रिटायर होने के बाद मेरे पिता जी उत्तर प्रदेश से चंडीगढ़ में चले आये थे और सेक्टर 34 में अंत तक रहे . उस वक़्त वहां टीन के शेड तले गुरुद्वारा बना था जिसका बाद में विस्तार हुआ। आज उस जगह सबसे अधिक भीड़ रहती है। मेरी दादी उस गुरूद्वारे में सुबह शाम जाती थी और सभी को आशीर्वाद देकर लाभान्वित करती थी फलतः मेरे परिवार के लोग उसी गुरूद्वारे में जाते हैं और इस पोस्ट के लिखने तक जा चुके हैं।
मोहाली स्थित सिंह शहीदां गुरुद्वारा भी इस मौक़े पर आकर्षण का केंद्र रहता है दूसरा प्रमुख गुरुद्वारा अम्ब साहिब है दोनों ऐतिहासिक गुरूद्वारे हैं सिंह शहीदां गुरुद्वारा श्रधालुओं द्वारा दिए गए गुप्त दान के लिए मशहूर है यहाँ हमेशां त्यौहार सा माहौल रहता है।
