-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत को मिली करारी शिकस्त के बाद मिलीजुली प्रतिक्रियाएँ देखने सुनने में आ रही हैं। एक पक्ष का दावा है कि भारतीय टीम ने लगातार 10 मैच जीते हैं और इतनी तालियां बटोरी हैं जो हमें सालों तक याद रहेंगी लेकिन ये भी कटु सत्य है कि लोग दशकों तक इस हार को भी नहीं भूलेंगे जिसमें भारत हर क्षेत्र में कमज़ोर साबित हुआ. मिसाल के तौर पर पहले 10 ओवर में 80 रन बनाने वाली टीम इंडिया अगले 30 ओवर में मात्रा 95 रन ही बना सकी जोकि हार का मुख्य कारण बनी। अंतिम 10 ओवर में गेंदबाज़ों ने 40-45 रन बनाकर स्कोर ज़रूर 240 तक पहुंच दिया जो कि कम से कम 290 होना चाहिए था। विरोधी टीम की फील्डिंग और बॉलिंग कमाल की थी, उन्हीने चुस्त फील्डिंग और गेंदबाज़ी के चलते एक चौका तक नहीं जाने दिया और प्रेशर के चलते खिलाड़ी आउट होते गए।

यहाँ उल्लेखनीय है कि विरोधी टीम भी एक समय 3 विकेट खो चुकी थी लेकिन वह सही मायने में 5 बार की वर्ल्ड चैंपियन टीम थी क्योंकि उसके बाद उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी और एक खिलाड़ी ने सैंकड़ा जड़ दिया और सम्भवता यही दोनों टीमों के बीच हार जीत के लिए निर्णायक साबित हुआ। इससे पूर्व खेले गए सेमी – फाइनल में नूज़ीलैण्ड की टीम भले ही हार गयी थी लेकिन उसने संघर्ष किया था. टीम इंडिया दो बार चैंपियन बनी है एक बार भाग्य और खिलाडियों के मिले जुले संघर्ष के चलते और दूसरी बार #धोनी की कप्तानी के तहत। 2019 में धोनी शायद 49 वें ओवर में आउट हो गया था इसलिए हम मैच हार गए अन्यथा जीत पक्की थी।

भारतीय टीम मैनेजमेंट और बोर्ड को हार से कोई फ़र्क नहीं पड़ता और हमेशां की तरह इस टूर्नामेंट से भी सभी की जेबें भर गयी हैं। पैसा ही भगवान है और धनवान पैसे की ही पूजा करते हैं। भारतीय टीम कितने भी मैच हार जाये लक्ष्मी की कृपा जारी रहेगी। हार-जीत सिर्फ साधारण लोगों के डिसकशन का विषय है।
कुछ समाचार पत्रों में कपिल देव से सम्बंधित खबर छपी है की उसे नहीं बुलाया गया। 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली पूरी टीम को निमंत्रण भेजा जाना चाहिए था। कुछ मायनों में ज़रूर सही है लेकिन यह बोर्ड का निर्णय है। खिलाड़ी अपना पैसा खर्च कर भी जा सकते थे लेकिन नहीं गए क्योंकि सभी पैसे वाले हर काम मुफ्त में चाहते हैं। 1983 के वर्ल्ड कप के वक्त बोर्ड के पास धन नहीं था फलतः खिलाडियों के उत्साह- वर्धन हेतु गायिका लता मंगेशकर ने बम्बई में एक कॉन्सर्ट आयोजित करवाया था और उससे प्राप्त राशि खिलाडियों में बांटी थी। बोर्ड के पास जब पैसा आया तो दो दशक बाद बोर्ड ने भी खिलाड़ियों को सम्मानित किया था और उन पर धन वर्षा की थी और पेन्शन भी दी थी. जहाँ तक मुझे याद पड़ता है कपिल देव को 2 करोड़ की राशि बोर्ड ने दी थी जिसे लोग भूल चुके हैं. कपिल को हरियाणा में अकादमी के लिए ज़मीन और चंडीगढ़ में एक कमर्शियल स्टोर भी दिया गया था जिसका किराया करोड़ों में वसूला जा चुका है उस जगह स्टेट बैंक की सेक्टर-7 स्थित मुख्य ब्रांच थीं।
