-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
दिवाली हालाँकि पूरे भारत में मनाई जाती है, लेकिन इसे उत्तरी भारत में अधिक उत्साह, उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाता है। हिंदू देवी लक्ष्मी की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसे भगवान राम और सीता के 14 साल के वनवास से अयोध्या वापसी के प्रतीक के रूप में मुख्य रूप से मनाया जाता है । सिख समुदाय दिवाली अपने छठे गुरु श्री हरगोबिंद सिंह साहिब की 1619 में जेल से रिहाई की ख़ुशी में मनाते हैं । जैन धर्म के अनुयायी दिवाली इस लिए मनाते हैं जब उनके भगवान ने निर्वाण या मोक्ष की प्राप्ति की थी ।

इस दिन दोस्तों और सगे सम्बन्धियों के बीच मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है और आकाश आतिशबाजी और पटाखों से जगमगा उठता है। आजकल घरों, मंदिरों, गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थानों पर रंगीन मोमबत्तियाँ और डिजाइनर दीये उपयोग में लाये जाते हैं। रौशनी के लिए बिजली की लड़ियों का उपयोग किया जाता है। इस बार अयोध्या में दिवाली के मौके पर बड़े स्तर पर इंतज़ामात किये गए हैं। अमृतसर स्थित गोल्डन टेम्पल की भव्यता देखने लायक होती है।
