You are currently viewing “अमरीकी डॉलर के साथ मेरे संघर्ष की कहानी – जिस में मैं हमेशा विजयी रहा “

“अमरीकी डॉलर के साथ मेरे संघर्ष की कहानी – जिस में मैं हमेशा विजयी रहा “

Spread the love

-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से

भारत ने 1947 में आज़ादी प्राप्त की थी। 1949 में भारत गणराज्य बना. देश में नया सविंधान लागू हुआ। 1947 में मैं पैदा नहीं हुआ था लेकिन अमरीकी डॉलर उस वक़्त 4 रुपये के बराबर था। मेरे जनम के वक़्त डॉलर #साढ़े तीन के आस पास था। मेरे #जन्म के बाद डॉलर का बढ़ना #रुक गया. मैं बढ़ता चला गया. मैंने जब दसवीं पास की उस वक़्त डॉलर की कीमत 6 रुपये थी मेरी #उम्र से #ढाई गुना से भी ज्यादह कम। मेरी कोशिश रंग लाती रही #अमरीकी डॉलर को मैंने अपने करीब भी नहीं फटकने दिया।

मेरी #शादी से #पूर्व डॉलर 8 रुपये से अधिक था मैंने उसे #शादी के समय 8 से नीचे धकेल दिया। डॉलर मेरे सामने #बच्चा था। जब मैं 30 वर्ष का था डॉलर तब 9 रुपये का था। जब मैं 35 वर्ष का हुआ तब डॉलर मेरे से तीन गुना कम 12 रूपये मूल्य का था। मेरे 40 पार करते समय भी डॉलर संघर्षरत्त था और 17 के आस पास तक टिका हुआ था। अगले दस वर्षों में डॉलर ने मेरा पीछा करना शुरू किया और काफी हद तक उसे सफलता भी मिली कीमत 43 तक पहुँच गयी. मैंने उससे #लोहा लेने की ठान ली और मुझे काफी हद्द तक #सफलता भी हासिल हुई। डॉलर अगले 8 वर्षों में बढ़ नहीं पाया। 2007 में मैंने रिटायरमेंट ले ली। डॉलर उस वक़्त 43 के आस पास था. लेकिन मेरे बैंक छोड़ते ही डॉलर को मानो #पंख लग गए उसकी राह का #रोड़ा हट गया था देखते ही देखते डॉलर 63 पर पहुँच गया लेकिंन फिर भी मेरी उम्र से नीचे ही रहा. लेकिन मेरे 70 पार करते ही डॉलर #रंग में आ गया और 76 पार कर गया। पिछले वर्ष डॉलर ने अक्टूबर में #82 आल टाइम हाई लगाया.

मेरे जनम से पहले सोने का रेट 88 रुपये (24 Carrot ) #प्रति दस ग्राम था जो मेरे जनम के बाद घटने लगा और 1964 तक गिर कर #63 पर आ गया। 1970 में रेट 184 था जबकि 1990 में बढ़कर 3200 हो गया 2000 में रेट 4400 था। उसके बाद सोना मिल्खा सिंह की तरह दौड़ लगाने लगा और 2010 तक 18000 पर कर गया। फिर इसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 2022 में सोना 52000 पार कर गया।

#विशेष

मैंने अपने बचपन में 5000 और 10000 के इतने नोट देखे हैं जो इम्पीरियल बैंक के एजेंट और #चीफ कैशिअर के अतिरिक्त किसी ने नहीं देखें होंगे। मेरे पिता जी ने जब सबसे बड़ी स्टेट बैंक की शाखा का चार्ज लिया था उस वक़्त 1959 में 270 करोड़ रूपये #स्ट्रांग रूम में मौजूद थे। 5000 और 10000 के नोट पिंजरों (Cages) में ठूसें हुए थे। चार्ज लेने में 6 महीने 20 दिन का वक़्त लगा था .

लेखक के रूप में पिछले 52 वर्षों में मैंने देश- विदेश की प्रमुख पत्र- पत्रिकाओं में सबसे अधिक लेख #भारत और #अमेरिका के बारे में ही लिखे हैं.

Jagmohan Singh Barhok

Leading Film , Fashion ,Sports & Crime Journalist Up North. Active Since 1971.Retired Bank Officer. Contributed more than 7000 articles worldwide in English, Hindi & Punjabi languages on various topics of interesting & informative nature including people, places, cultures, religions & monuments. Ardent Music lover.

Leave a Reply