-जगमोहन सिंह बरहोक की कलम से
भ्रष्टाचार का आज #सर्वत्र बोलबाला है। हर कोई भ्रष्टाचार में #संलिप्त दिखाई देता है हैरानी की बात है कि जिस व्यक्ति पर अबसे अधिक आरोप लगे होते हैं वह भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लम्बे भाषण देता है।
भ्रष्टाचार क्या है ? साधारण लोग #भ्रष्टाचार का रिश्ता #घूस से जोड़ते हैं। वास्तविकता में ऐसा नहीं है क्योंकी घूस के 90% मामले लोग अपनी रजामंदी या मिली भगत से सुलझा लेते हैं। बाकी के 10% में से 7% मामलों को मैं सर्विस चार्ज के रूप में चिनहित करता हूं.मिसाल के तौर पर जब आप लाइसेंस बनवाने जाते हैं तो क्लर्क आपको 3-4 चक्कर लगवाता है। कोई ना कोई गलती अवश्य निकालता है जिसका अप्रत्यक्ष रूप से संबंध पैसे से होता है ।

मैंने अपना लाइसेंस बनवाना था। मैं अपने लड़के को साथ लेकर गया उसने एम सी ए की डिग्री के साथ एडवांस कोर्स किया है जिसका मतलब है कि वो इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी या कंप्यूटर एडमिनिस्ट्रेशन में एक्सपर्ट है.उसके द्वारा सारा फॉर्म कंप्यूटर पर चेक करने के बाद ही हम लोग लाइसेंस बनवाने गए. वहां कम से कम 500 लोग मौजूद थे। साधरण व्यक्ति का लाइन में खड़ा होकर नंबर आना संभव नहीं था. सीनियर सिटीजन की कोई लाइन नहीं थी लेकिन मेने लाइन में खड़े काई सीनियर सिटीजन को शर्मसार करके ,जिनमे कई फौजी ऑफिसर भी थे ,काउंटर तक पहुचने में सफलता प्राप्त की। फॉर्म चेक करने के बाद उसने कहा एक आइटम कंप्यूटर पर मिसिंग है। मेरे लड़के ने कहां की मैंने पूरी तरह चेक किया है सब कुछ ठीक है।लेकिन क्लर्क जिसके पास कोई डिग्री नहीं थी, नहीं माना। मेरा बेटा बोला पापा घर चलते हैं मैंने कहा बाहर सफेद मारुति मोटर कारों में 2 लोग इसी काम के लिए बैठे हैं उनसे बात करते हैं। उन्होंने 100 रुपये लिए और अंदर मैसेज भेज दिया। हम दोबारा जद्दोजहद करके काउंटर पर पहुंचे.इस बार उसे कहा ‘अब ठीक है’ क्योंकि 100 रुपये में से उसका हिस्सा उस तक पहुंच चुका था।उसने हमें 30 दिन बाद आने को कहा गया. 30 दिन बाद जब वह पहुंचे तो पता चला की पंजाब में कोई प्रतिबंधित छुट्टी है जिसका किसी अखबार में जिक्र नहीं था. लोग गालियां निकल कर घरों को चले गए.4 बार आने का हमारा कार का पेट्रोल 700 रुपए खर्च हुआ। समय अलग बरबाद हुआ और लाइसेंस 32 दिन बाद मिला.कुल खर्च हुआ 1800. यही लाइसेंस अगर घर बैठे आपको 2000 में मिल जाए वो भी 15 दिन के अंदर तो आप क्या कहेंगे. ये 2000 सर्विस चार्ज के हैं जिसका मैंने जिक्र किया है।
